Gazal "ग़ज़ल" in HINDI/URDU
Dil pe nashtar gazal in hindi and urdu
"दिल पे नश्तर भी लगाते हो तो मरहम की तरह"
"कभी गुंचा कभी शोला कभी शबनम की तरह
लोग मिलते हैं बदलते हुए मौसम की तरह
Kabhi guncha kabhi shola kabhi shabnam ki tarah
log milte hai badalte huye mousam ki tarah
मेरे महबूब मेरे प्यार को इलज़ाम न दे
हिज्र में ईद मनाई है मुहर्रम की तरह
मेरे महबूब मेरे प्यार को इलज़ाम न दे
हिज्र में ईद मनाई है मुहर्रम की तरह
Mere mehboob mere pyar ko Ilzam na de
Hijra me eid manai hai muharram ki tarah
मैंने खुशबू की तरह तुझको किया है महसूस
दिल ने छेड़ा है तेरी याद को शबनम की तरह
Maine khusboo ki tarah tujhko kiya hai mehsoos
dil ne cheda hai teri yaad ko shabnam ki tarah
कैसे हमदर्द हो तुम कैसी मसीहाई है
दिल पे नश्तर भी लगाते हो तो मरहम की तरह"
Kaise humdard ho tum kaisi masihai hai
dil pe nashtar bhi lagate ho to marham ki tarah
---
"तू ही बता मेरी यादों को भुलाने वाले"
"टूट जाये न भरम होंठ हिलाऊँ कैसे
हाल जैसा भी है लोगों को बताऊँ कैसे
खुश्क आँखों से भी अश्कों की महक आती है
मैं तेरे ग़म को ज़माने से छुपाऊँ कैसे
तू ही बता मेरी यादों को भुलाने वाले
मैं तेरी याद को इस दिल से भुलाऊँ कैसे
फूल होता तो तेरे दर पे सजा रहता
ज़ख़्म ले कर तेरी दहलीज़ पे आऊं कैसे
"टूट जाये न भरम होंठ हिलाऊँ कैसे
हाल जैसा भी है लोगों को बताऊँ कैसे
खुश्क आँखों से भी अश्कों की महक आती है
मैं तेरे ग़म को ज़माने से छुपाऊँ कैसे
तू ही बता मेरी यादों को भुलाने वाले
मैं तेरी याद को इस दिल से भुलाऊँ कैसे
फूल होता तो तेरे दर पे सजा रहता
ज़ख़्म ले कर तेरी दहलीज़ पे आऊं कैसे
तू रुलाता है तो रुला मुझे जी भर के
तेरी आँखें तो मेरी हैं, मैं इन को रुलाऊँ कैसे"
---
"बैठे बैठे याद आई आपकी हम आ गए"
"आपके दिल ने हमें आवाज दी हम आ गए
हमको ले आई मोहब्बत आपकी हम आ गए
अपने आने का सबब हम क्या बताएँ आपको
बैठे बैठे याद आई आपकी हम आ गए
हम है दिलवाले भला हम पर किसी का ज़ोर क्या
जायेंगे अपनी ख़ुशी अपनी ख़ुशी हम आ गए
कहिये अब क्या है चराग़ों की ज़रुरत आपको
लेके आँखों में वफ़ा की रौशनी हम आ गए"
---
"जलते-बुझते रहें है कई सरफिरे मुहब्बत पर"
ना गौर कर मेरे तरकीब-ए-मुहब्बत पर,
काबिल-ए-गौर हैं मेरी तहरीरें मुहब्बत पर।
यूं तो इश्क दो दिलों के हिफाजत का मसला है,
पर हो रकाबत, चलती है शमशीरें मुहब्बत पर।
ये आग सीने में लगती है, धुआं भी नहीं उठता,
जलते-बुझते रहें है कई सरफिरे मुहब्बत पर।
इश्क ने झिंझोड़े है कई बादशाहों के महल,
पर कायम रहें हैं कई छत शहतीर-ए-मुहब्बत पर।
बंदिशों का दस्तूर तो सदियों पुराना है मगर,
बंधती-टूटती रही है ये जंजीरें मुहब्बत पर।
यूं तो हो गए निकम्मे कितने आदमी काम के,
पर चमके हैं कई गालिब-मीरे मुहब्बत पर।
यूं तो दरिया है इश्क तैरते भी हैं सारे,
मगर रहते हैं प्यासे कितने जजीरे मुहब्बत पर।
---
"शायद प्यार ने दिल में उतरना छोड़ दिया"
खुशबु ने फूलों से मिलना जुलना छोड़ दिया
कलियों ने उस बहार में खिलना छोड़ दिया
हवाओं ने आग से थोड़ी सी नजर क्या मिलाई
रुठ कर मोम ने आग से पिघलना छोड़ दिया
बड़ी कशमकश में पड़ गए हैं ये गुलजार सारे
रुठ कर सब से मौसम ने बदलना छोड दिया
रात नहीं होती और ख्बाब भी नहीं आते हैं
जलते हुए सूरज ने जब से ढलना छोड़ दिया
ये नाराजगी छाई हुई है यहां हर किसी पर
शायद प्यार ने दिल में उतरना छोड़ दिया
मोहब्बत की कहानी किताबों में मिलती है
अफसोस लोगों ने किताब पढ़ना छोड़ दिया
---
तेरी आँखें तो मेरी हैं, मैं इन को रुलाऊँ कैसे"
---
"बैठे बैठे याद आई आपकी हम आ गए"
"आपके दिल ने हमें आवाज दी हम आ गए
हमको ले आई मोहब्बत आपकी हम आ गए
अपने आने का सबब हम क्या बताएँ आपको
बैठे बैठे याद आई आपकी हम आ गए
हम है दिलवाले भला हम पर किसी का ज़ोर क्या
जायेंगे अपनी ख़ुशी अपनी ख़ुशी हम आ गए
कहिये अब क्या है चराग़ों की ज़रुरत आपको
लेके आँखों में वफ़ा की रौशनी हम आ गए"
---
"जलते-बुझते रहें है कई सरफिरे मुहब्बत पर"
ना गौर कर मेरे तरकीब-ए-मुहब्बत पर,
काबिल-ए-गौर हैं मेरी तहरीरें मुहब्बत पर।
यूं तो इश्क दो दिलों के हिफाजत का मसला है,
पर हो रकाबत, चलती है शमशीरें मुहब्बत पर।
ये आग सीने में लगती है, धुआं भी नहीं उठता,
जलते-बुझते रहें है कई सरफिरे मुहब्बत पर।
इश्क ने झिंझोड़े है कई बादशाहों के महल,
पर कायम रहें हैं कई छत शहतीर-ए-मुहब्बत पर।
बंदिशों का दस्तूर तो सदियों पुराना है मगर,
बंधती-टूटती रही है ये जंजीरें मुहब्बत पर।
यूं तो हो गए निकम्मे कितने आदमी काम के,
पर चमके हैं कई गालिब-मीरे मुहब्बत पर।
यूं तो दरिया है इश्क तैरते भी हैं सारे,
मगर रहते हैं प्यासे कितने जजीरे मुहब्बत पर।
---
"शायद प्यार ने दिल में उतरना छोड़ दिया"
खुशबु ने फूलों से मिलना जुलना छोड़ दिया
कलियों ने उस बहार में खिलना छोड़ दिया
हवाओं ने आग से थोड़ी सी नजर क्या मिलाई
रुठ कर मोम ने आग से पिघलना छोड़ दिया
बड़ी कशमकश में पड़ गए हैं ये गुलजार सारे
रुठ कर सब से मौसम ने बदलना छोड दिया
रात नहीं होती और ख्बाब भी नहीं आते हैं
जलते हुए सूरज ने जब से ढलना छोड़ दिया
ये नाराजगी छाई हुई है यहां हर किसी पर
शायद प्यार ने दिल में उतरना छोड़ दिया
मोहब्बत की कहानी किताबों में मिलती है
अफसोस लोगों ने किताब पढ़ना छोड़ दिया
---
"कोई पेड़ प्यास से मर रहा है, नदी के पास खड़ा हुआ"
कोई फूल धूप की पत्तियों में हरे रिबन से बंधा हुआ
वो ग़ज़ल का लहजा नया-नया, न कहा हुआ न सुना हुआ
जिसे ले गई अभी हवा, वे वरक़ था दिल की किताब का
कहीँ आँसुओं से मिटा हुआ, कहीं, आँसुओं से लिखा हुआ
कई मील रेत को काटकर, कोई मौज फूल खिला गई
कोई पेड़ प्यास से मर रहा है, नदी के पास खड़ा हुआ
मुझे हादिसों ने सजा-सजा के बहुत हसीन बना दिया
मिरा दिल भी जैसे दुल्हन का हाथ हो मेंहदियों से रचा हुआ
वही शहर है वही रास्ते, वही घर है और वही लान भी
मगर इस दरीचे से पूछना, वो दरख़्त अनार का क्या हुआ
वही ख़त के जिसपे जगह-जगह, दो महकते होटों के चाँद थे
किसी भूले बिसरे से ताक़ पर तहे-गर्द होगा दबा हुआ"
---
कोई फूल धूप की पत्तियों में हरे रिबन से बंधा हुआ
वो ग़ज़ल का लहजा नया-नया, न कहा हुआ न सुना हुआ
जिसे ले गई अभी हवा, वे वरक़ था दिल की किताब का
कहीँ आँसुओं से मिटा हुआ, कहीं, आँसुओं से लिखा हुआ
कई मील रेत को काटकर, कोई मौज फूल खिला गई
कोई पेड़ प्यास से मर रहा है, नदी के पास खड़ा हुआ
मुझे हादिसों ने सजा-सजा के बहुत हसीन बना दिया
मिरा दिल भी जैसे दुल्हन का हाथ हो मेंहदियों से रचा हुआ
वही शहर है वही रास्ते, वही घर है और वही लान भी
मगर इस दरीचे से पूछना, वो दरख़्त अनार का क्या हुआ
वही ख़त के जिसपे जगह-जगह, दो महकते होटों के चाँद थे
किसी भूले बिसरे से ताक़ पर तहे-गर्द होगा दबा हुआ"
---
Best gazal on love in hindi
"आपने आ के रौशनी कर दी"
"इंतहा आज इश्क़ की कर दी
आपके नाम ज़िन्दगी कर दी
था अँधेरा ग़रीब ख़ाने में
आपने आ के रौशनी कर दी
देने वाले ने उनको हुस्न दिया
और अता मुझको आशिक़ी कर दी
तुमने ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे बिखरा कर
शाम रंगीन और भी कर दी"
---
"जलते हुए दिलों की निशानी जो दे गया"
"शीशे के खिलौनों से खेला नहीं जाता
रेतों के घरौंदों को तोड़ा नहीं जाता
जलते हुए दिलों की निशानी जो दे गया
कुछ ऐसे चिरागों को बुझाया नहीं जाता
बनती हुई तस्वीर तेरी चांद बन गई
अब मेरे तसव्वुर का उजाला नहीं जाता
अपनों ने उसे इतना मजबूर कर दिया
कि घर में सुकून से अब जिया नहीं जाता"
"शीशे के खिलौनों से खेला नहीं जाता
रेतों के घरौंदों को तोड़ा नहीं जाता
जलते हुए दिलों की निशानी जो दे गया
कुछ ऐसे चिरागों को बुझाया नहीं जाता
बनती हुई तस्वीर तेरी चांद बन गई
अब मेरे तसव्वुर का उजाला नहीं जाता
अपनों ने उसे इतना मजबूर कर दिया
कि घर में सुकून से अब जिया नहीं जाता"