ज़िद Zid shayari, Zid Shayari In Hindi – Zid Quotes In Hindi

                     "ज़िद"Zid shayari 

                                       

जिद शायरी हिंदी में




Har koi paane ki zid me hai
shayad koi mujhe azmaane ki zid me hai
jiski chahat hai mujhe itni
wohi mujhe bhool jaane ki zid me hai


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यही ज़िद है तो फिर हिस्सा सभी अपना उठाते हैं
अगर शबनम तुम्हारी है तो हम शोला उठाते हैं
Yahi zid hai to fir hissa sabhi apna uthate hai
agar shabnam tumhari hai to hum shola uthate hai


zid quotes


हकीकत जिद किए बैठी है चकनाचूर करने को
मगर हर आंख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है
Hakikat zid kiye baithi hai chaknachur karne ko
magar har aankh fir sapna suhana dhoondh leti hai



Zid par shayari


"प्यार रोक टोक ज़िद्द और बंदिशें नहीं
प्यार तड़प बेचैन बेक़रार सी आज़ादी है"


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मना लिया हमने अपने दिल को,
हर चीज की ज़िद अच्छी नही होती


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शिकवा करने गए थे और इबादत सी हो गई…
तुझे भुलाने की जिद थी मगर तेरी आदत सी हो गई


zid quotes in hindi



दिल मे घर करके बैठे है ये जो ज़िद्दी से ख़्वाब,
कागज पे उतार मै वो सारे मेहमान ले आऊँ


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"कहो नाखुदा से उठा दे वह लंगर
मैं तूफां की जिद देखना चाहता हूँ"


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दिल की जिद ने मुझे मजबूर किया है वरना
हम गरीबों का नवाबों से ताल्लुक क्या है


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एक ही दिन में सारी ज़िन्दगी जीने की ज़िद न कर
समन्दर में लहरा कुछ दिन, पी जाने की ज़िद न कर


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हमें अपने दिल की तो परवा नहीं है
मगर डर रहा हूँ ये कमसिन की ज़िद है


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बहुत जल्दी सीख लेते है ज़िंदगी का सबक,
गरीबो के बच्चे बात-बात पर ज़िद नही करते


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वो तो ख़ुश्बू है हर इक सम्त बिखरना है उसे
दिल को क्यूँ ज़िद है कि आग़ोश में भरना है उसे


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"ज़ब्त कहता है कि ख़ामोशी से वसर हो जाये
दर्द की ज़िद है की दुनिया को खबर हो जाए"


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मैं ने कभी ये ज़िद तो नहीं की पर आज शब
ऐ मह-जबीं न जा कि तबीअत उदास है


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हर बात तेरी मानूं , ना-मुमकिन है,
ज़िद छोड़ दे ऐ दिल, तू अब बच्चा नही रहा


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हमारी ज़िद है कि दीवानगी ना छोड़ेंगे,
ना तुम भी कोई कसर रखना आज़माने में


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"बरसों बाद भी, तेरी ज़िद्द की आदत ना बदली
काश हम मोहब्बत नहीं, तेरी आदत होते"


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इस दिल की ज़िद हो तुम वर्ना
इन आँखों ने और भी हसीन चेहरे देखे है


Zid ki shayari


ज़माना चाहता है क्यों,मेरी फ़ितरत बदल देना,
इसे क्यों ज़िद है आख़िर,फूल को पत्थर बनाने की


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दिल भी इक ज़िद पे अड़ा है किसी बच्चे की तरह
या तो सब कुछ ही इसी चाहिये या कुछ भी नहीं


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"यही ज़िद है तो फिर हिस्सा सभी अपना उठाते हैं
अगर शबनम तुम्हारी है तो हम शोला उठाते हैं"


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ज़माना चाहता है क्यों,मेरी फ़ितरत बदल देना
इसे क्यों ज़िद है आख़िर,फूल को पत्थर बनाने की


Zid shayari hindi



मैं ने कभी ये ज़िद तो नहीं की पर
आज शब ऐ मह-जबीं न जा कि तबीअत उदास है


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बड़ी काम आई लगन इश्क़ में
मैं गिर-गिर के ख़ुद हि संभलता रहा


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"टूट जायेंगी तेरी ज़िद की आदत उस वक़्त
जब मिलेगी ख़बर तुझको की याद करने वाला अब याद बन गया है"


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इधर फ़लक को है ज़िद बिजलियाँ गिराने की
उधर हमें भी है ज़िद आशियाँ बनाने की


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ना कर जिद अपनी हद मे रह ए दिल, 
वो बड़े लोग है मर्जी से याद करते है


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मुसाफ़िर लौटकर आने का फिर वादा तो करता जा
अगर कुछ और रुक जाने की ज़िद मानी नहीं जाती


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बहुत जल्दी सीख लेते है ज़िंदगी का सबक
गरीबो के बच्चे बात-बात पर ज़िद नही करते"


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पहले खुशी..फिर ज़िद्द…फिर आदत बन जाता है…
इश्क और  निखर जाता है जब इबादत बन जाता है


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जमाना हो गया है देखो मेरी चाहत नही बदली,
उसकी जिद नही बदली मेरी आदत नही बदली


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मंज़िलें भी ज़िद्दी हैं,
रास्ते भी ज़िद्दी हैं,
देखते हैं कल क्या हो,
हौंसले भी ज़िद्दी हैं


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"तू मोहब्बत है मेरी इसीलिए दूर है मुझसे
अगर जिद होती तो शाम तक बाहों में होती"


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चलो ये तो सलीका है बुरे को मत बुरा कहिए
मगर उनकी तो ये ज़िद है हमे तो अब ख़ुदा कहिए


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वही पुरानी ख्वाहिश वही पुरानी जिद चाहिए,
एक छोटा सा पल और साथ तुम सिर्फ तुम चाहिए



zid shayari



ज़िद्दी है कितना
कभी मुस्कुराता ही नहीं,


काश के ये आईना
मैं बाज़ार से लाता ही नहीं


हर शय ज़माने की
गर मिलती है नसीब से,


फिर तो नसीब मेरा
यक़ीनन ख़ुदा बनाता ही नहीं


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Teri zid shayari


Teri zid hai agar rooth jaane ki
meri bhi zid hai tujhe na manane ki


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मिल सके आसानी से, उसकी ख्वाहिश किसको हैं
ज़िद तो उसकी है जो मुकद्दर में लिखा ही नहीं


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एक हम है जो बार बार तुम्हारी ही जिद्द करते हैं
और एक आप है… जो गलती ये दोहराते नहीं


Shayari on zidd


ये मेरे प्यार की जिद है कि अगर प्यार करु तो सिर्फ तुमसे ही करु.,
वरना तुम्हारी जो फितरत है वो नफरत के काबिल भी नही


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फरेबी भी हूँ, जिद्दी भी हूँ, पत्थर दिल भी हूँ,
साहेब मासूमियत खो दी है मैंने वफ़ा करते करते


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"Koi Pyar Pane Ki Zid Men Hai
Shayad Koi Azmane Ki Zid Men Hai
Mujhe Jis Ki Yad Aati Hai Itni Shidat Se
Shayad Wo Mujhsy dur Jane Ki Zid Men Hai"


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बड़ी जिद्दी है नाराजगी तुम्हारी
तोड़ देगी तुम्हें मगर टूटेगी नहीं


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सुनो तुम मेरी जिद नहीं जो पूरी हो,
तुम मेरी धड़कन हो जो जरुरी हो


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मँज़िले बड़ी ज़िद्दी होती हैँ, हासिल कहाँ नसीब से होती हैं 
मगर वहाँ तूफ़ां भी हार जाते हैं, जहाँ कश्तियाँ ज़िद पर होती हैँ


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"तुम्हे अगर जिद है हमसे जुदा होने की
तो हमें भी उम्मीद है तुम्हे पा लेने की"


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ज़िद्दी बड़े ख़्वाब मेरे पूरे नहीं होते..
और मैं महा ज़िद्दी उन्हें देखना नहीं छोड़त


Zid shayari in hindi


न जिद है न हमे कोई गुरूर है
बस तुम्हे पाने का हमे सुरूर है.
इश्क गुनाह है तो गलती की
अब सजा जो भी हो हमे मंजूर है


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"सांस रुक जाए मगर आंखें कभी बंद न हो
मौत आये फिर भी तुझे देखने की ज़िद हो "



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तू हवा के रुख पर चाहतो के दीप जलाने कि जिद न कर,
ये कातिलो का शहर है यहाँ मुस्कराने कीं जिद ना कर


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"यूँ जिद ना किया करो, मेरी दास्तां सुनने की
मै हँस के सुना दूँगा, तुम रोने लगोगे "


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ज्यादा कुछ नही बदलता उम्र बढने के साथ,
बचपन की जिद समझौतों मे बदल जाती है


Zid wali shayari




"Chand-tare, zameen par lane ki zid thi
Hamein unko, apna banane ki zid thi
Achcha hua, woh pehle hi ho gayi bewafa
Warna unhe pane ko, zamana jalane ki zid thi


Shayari on zid


नाम मेरा जहाँ लिखा पाया,
ज़िद तो देखो कि वो मिटा के रहे


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"Tumhe ye zid ke tum ruthe rahoge
Hume ye zid ke hum mana kar rahenge
Tumhe hai kasam tum mat muskurana
Hume hai kasam hum hasa kar rahnge"


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हमें अपने दिल की तो परवा नहीं है
मगर डर रहा हूँ ये कमसिन की ज़िद है


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"आंधियों को जिद है जहां बिजलियां गिराने की
मुझे भी जिद है, वही आशियां बसाने की"


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कहो नाखुदा से उठा दे वह लंगर,
मैं तूफां की जिद देखना चाहता हूँ


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"तुम्हे पाने की ज़िद्द इसलिये नही करते
की तुम्हे खोने का दिल नही करता"


Zid status in hindi



दिल भी इक ज़िद पे अड़ा है किसी बच्चे की तरह
या तो सब कुछ ही इसी चाहिये या कुछ भी नहीं


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उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो
जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो
इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है
इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो


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Kabi zid me hi tere ho gye to kbhi dil ne tujko gawa diya
Kashmkash me h sanam k tune Yaad rakha ya bhula diya





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