सुशील तिवारी Blogger की शायरियां और कविताएँ
आज हम इस आर्टिकल में सुशील तिवारी के जीवन परिचय और उनकी कविताएँ, शायरियाँ पढ़ेंगे
सुशील तिवारी Blogger का जीवन परिचय | Susheel tiwari biography
सुशील तिवारी का जन्म 21 अक्टूबर 1985 को मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिले की तहसील - गाडरवारा में हुआ था। सुशील तिवारी ने M.com, M.A किया है उन्होंने किसानों और महिलाओं के उत्थान में N.G.O. के साथ मिलकर Self Help Group, Farmer Group और Farmer producers company पर काम किया। लेकिन सुशील की लिखने में रूचि और लोगों की मदद करने के जुनून को लेकर 2014 में उन्होंने blogging शुरू की और आज इंडिया के टॉप हिंदी blogs में उनके ब्लॉग के नाम भी गिने जाते है।
कहानियाँ गुजर जाती हैं शायरी सुशील तिवारी
"न मैं कहीं जाता हूँ न मैं कहीं आता हूँ
मैं तो वो रास्ता हूँ,
जिस पर से सारी कहानियाँ गुजर जाती हैं."
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
इबारत इश्क की, लिखकर वो चल दिये,
और आयत समझ हम पढते रहे उम्र-भर.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
हमारी चाहत ऐसी कि मुद्दतों की प्यास हो,
सूखी जमीन पर कुआँ खोदते रहे उम्र भर.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
रंग होली के बिखर रहे है आँगन में,
एक रंग तुमने भी तो बिखराया था.
ये छुटे तो सही ,फिर दूजा चढे,
ऐसा मोह रंग तुमने मोहे रंगाया था.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
दोस्तों एक छोटा सा प्रयास मेरे अन्तर्मन को समझाने का, मेरी कृति के माध्यम से करना चाहता हूँ…
और मुझे अच्छा लिखने के लिये मार्गदर्शन करें.
"मैं हर वक्त में डरता हूँ,
पैसा नही, खुद के खोने से डरता हूँ.
मैं हर बात में डरता हूँ,
शोहरत नही अपनो को खोने से डरता हूँ.
बहुत ज़िद की है मैने दोस्तों से,
उनको मगर समझा नही पाया,
अपना बज़ूद नही दोस्तों को खोने से डरता हूँ.
सच है डरा नही कभी तमाम उलझनो से,
बस कुछ अपनापन खोने से डरता हूँ.
छीना जब मेरा हसीन बचपन खोने ने,
अब जवानी खोने से डरता हूँ.
बुढापा आये शाम तलक मेरी चौखट पर,
मैं अपने प्यार की सच्चाई खोने से डरता हूँ.
मैं हर वक्त में डरता हूँ"
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
माना उसका मुझसे कोई वास्ता नहीं रहा अब,
फिर भी हर शाम उसकी याद मे गुजरती है.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
गम हमारे लिए हँसना आपके लिए,
जिंदगी में फूल आपके लिए काँटे हमारे लिये
रुतबा आपके लिये ठोकरें हमारे लिये
आप हमारे लिये सारी दुनिया आपके लिये
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
Susheel Tiwari के द्वारा यह कविता लिखी है, सुशील नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा तहसील के रहने वाले है।
कल हल्की-हल्की बारिश थी,
कल सर्द हवा का रक्स भी था,
कल फूल भी निखरे-निखरे थे,
कल उन पर आप का अक्स भी था,
कल बादल काले गेहरे थे,
कल चांद पर लाखों पेहरे थे ,
कुछ टुकडे आप कि यादों के बडी देर से दिल में ठहरे थे,
कल यादें उल्झी-उल्झी थी और कल तक ये न सुल्झी थी,
कल याद बहुत तुम आये थे कल याद बहुत तुम आये थे.
("SUSHEEL TIWARI")
ये शायरी kal halki-halki barish thi - ("SUSHEEL TIWARI") द्वारा लिखी गई है ,यदि आप इसे share करते है और by ("SUSHEEL TIWARI") भी show करते है ,तो मुझे ज्यादा ख़ुशी होगी thanks
जिस पर से सारी कहानियाँ गुजर जाती हैं."
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
शायरी - इबारत इश्क की सुशील तिवारी
इबारत इश्क की, लिखकर वो चल दिये,
और आयत समझ हम पढते रहे उम्र-भर.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
Love shayari by susheel tiwari
हमारी चाहत ऐसी कि मुद्दतों की प्यास हो,
सूखी जमीन पर कुआँ खोदते रहे उम्र भर.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
रंग होली के बिखर रहे है आँगन में,
एक रंग तुमने भी तो बिखराया था.
ये छुटे तो सही ,फिर दूजा चढे,
ऐसा मोह रंग तुमने मोहे रंगाया था.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
दोस्तों एक छोटा सा प्रयास मेरे अन्तर्मन को समझाने का, मेरी कृति के माध्यम से करना चाहता हूँ…
और मुझे अच्छा लिखने के लिये मार्गदर्शन करें.
शीर्षक है - मैं हर वक्त में डरता हूँ
"मैं हर वक्त में डरता हूँ,
पैसा नही, खुद के खोने से डरता हूँ.
मैं हर बात में डरता हूँ,
शोहरत नही अपनो को खोने से डरता हूँ.
बहुत ज़िद की है मैने दोस्तों से,
उनको मगर समझा नही पाया,
अपना बज़ूद नही दोस्तों को खोने से डरता हूँ.
सच है डरा नही कभी तमाम उलझनो से,
बस कुछ अपनापन खोने से डरता हूँ.
छीना जब मेरा हसीन बचपन खोने ने,
अब जवानी खोने से डरता हूँ.
बुढापा आये शाम तलक मेरी चौखट पर,
मैं अपने प्यार की सच्चाई खोने से डरता हूँ.
मैं हर वक्त में डरता हूँ"
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
Sad shayari by susheel tiwari
माना उसका मुझसे कोई वास्ता नहीं रहा अब,
फिर भी हर शाम उसकी याद मे गुजरती है.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
गम हमारे लिए हँसना आपके लिए,
जिंदगी में फूल आपके लिए काँटे हमारे लिये
रुतबा आपके लिये ठोकरें हमारे लिये
आप हमारे लिये सारी दुनिया आपके लिये
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
हम यूँ ना तड़पते जिंदगी भर के लिए
अगर तुम मिल जाते पल दो पल के लिए,
अगर तुम मिल जाते पल दो पल के लिए,
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
हम यूँ ना तड़पते जिंदगी भर के लिए
अगर तुम मिल जाते पल दो पल के लिए,
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
उदास जा रहा है कोई मेरी कब्र से
खैरियत न पूछ सका और वो बताता गया
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
हम यूँ ना तड़पते जिंदगी भर के लिए
अगर तुम मिल जाते पल दो पल के लिए,
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
उदास जा रहा है कोई मेरी कब्र से
खैरियत न पूछ सका और वो बताता गया
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
कभी तुम कह देना कभी हम सुन लेंगे
बताकर कर दिल के दर्द को कुछ दिल हल्का कर लेंगे
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
कभी तुम कह देना कभी हम सुन लेंगे
बताकर कर दिल के दर्द को कुछ दिल हल्का कर लेंगे
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
सदियाँ तो गुजारनी नही है बस एक पल तेरे साथ हो
क्युँ सिखा रही है ज़िंदगी जैसे इश्क-ए- नौकरी हो
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
मोहब्बत और मुकद्दर से ज़िद्द करता रहा उम्र भर,
रूठी जब मोहब्बत तो मुकद्दर रूठ ही जाता है.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
क्युँ सिखा रही है ज़िंदगी जैसे इश्क-ए- नौकरी हो
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
मोहब्बत और मुकद्दर से ज़िद्द करता रहा उम्र भर,
रूठी जब मोहब्बत तो मुकद्दर रूठ ही जाता है.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
घर अपना बना लेते जो आप मेरे दिल में ,
युँ खाली जमीन पर दिल की कब्रिस्तान न बनते.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
युँ खाली जमीन पर दिल की कब्रिस्तान न बनते.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
आसमान में कभी नदियाँ नहीं बहती,
दिल की बातों में समझदारी नहीं चलती
और ये भी जान लिजिये जनाब
छेद वाली नाव पर कभी इश्क की बातें नहीं चलती
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
आसमान में कभी नदियाँ नहीं बहती,
दिल की बातों में समझदारी नहीं चलती
और ये भी जान लिजिये जनाब
छेद वाली नाव पर कभी इश्क की बातें नहीं चलती
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
उम्मीदों की टूटी लाठी है
रोज-रोज गिर के सम्भलना पड़ता है
और तुम्हारे आने की आस में
दर्द की हद से गुजरना पड़ता है
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
एक सितारों का जहाँ भी है और वहाँ भी एक रिश्ता सा
आप तो छोड़ दिये हमको आप थे हमारा सितारा सा
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
रोज-रोज गिर के सम्भलना पड़ता है
और तुम्हारे आने की आस में
दर्द की हद से गुजरना पड़ता है
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
एक सितारों का जहाँ भी है और वहाँ भी एक रिश्ता सा
आप तो छोड़ दिये हमको आप थे हमारा सितारा सा
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
कोई दूर करा दे जिदंगी की उलझनों से
कोई दूर करा दे जिदंगी की उलझनों से
बड़ी नजर लगी है जमाने की
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
आपकी की इज्जत का सवाल था जनाब
आप गये तो थोडा हम भी रो दिये
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
आपकी की इज्जत का सवाल था जनाब
आप गये तो थोडा हम भी रो दिये
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
कोई सुलह करा दे मेरी नींद की इश्क से
बड़ी तलब लगी है आज मुझे सोने की
कोई सुलह करा दे मेरी नींद की इश्क से
बड़ी तलब लगी है आज मुझे सोने की
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
गर जिंदगी में तुम मिल गये युं अचानक
थप्पड़ मारेंगे पहले फिर गले लगा लेंगे तुम को
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
अपनी तबाही का मुझे कोई शिकवा नही
खुशी है कि तुमने उसे अब तक धोखा नही दिया.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
---
गर जिंदगी में तुम मिल गये युं अचानक
थप्पड़ मारेंगे पहले फिर गले लगा लेंगे तुम को
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
अपनी तबाही का मुझे कोई शिकवा नही
खुशी है कि तुमने उसे अब तक धोखा नही दिया.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
जब कोई ख्याल तुम्हारा आता है
दिल ना चाह कर भी खमोश हो जाता है
प्यार करने वाले पढ लेते है जुबाँ दिल की
और तुमको हमारा नाम भी याद नही आता है
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
उम्र भर आँखों में एक ख्वाव रहा ,
दिल ना चाह कर भी खमोश हो जाता है
प्यार करने वाले पढ लेते है जुबाँ दिल की
और तुमको हमारा नाम भी याद नही आता है
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
उम्र भर आँखों में एक ख्वाव रहा ,
उम्र बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा,
न जाने क्या था उसमें और मुझ में ,
न जाने क्या था उसमें और मुझ में ,
सारी दुनिया भूल गए बस एक चेहरा याद रहा
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
शरारत तेरे लबों की मैं देखता जाऊं
गुनगुनाने से तेरे मैं मदहोश हो जाऊं
गुमसुम हो गया हूँ तेरे जाने से मैं
आकर बारिश की तरह फिर से ज़िंदा कर दे
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
माँ मुझे समझाती है
इन मुश्किल भरी राह पर चलना सिखाती है
माँ ही तो मुझे लोरी गाकर सुनाती थी
तब जाकर मुझे रात को चैन की नींद आती थी
माँ ने ही मुझे चलना सिखाया
लगने ठोकर मुझे संभलना सिखाया
माँ अगर तुम न होती तो...
माँ ने ही मुझे बोलना सिखाया
दुनिया से प्यार की बात करना सिखाया
माँ ने ही मुझे हँसना सिखाया
किसी बात पर डांट कर समझदार बनाया
माँ ने ही मुझे प्यार का नाम दिया
फिर उसी नाम से दुनिया ने मुझे बुलाया
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
गुनगुनाने से तेरे मैं मदहोश हो जाऊं
गुमसुम हो गया हूँ तेरे जाने से मैं
आकर बारिश की तरह फिर से ज़िंदा कर दे
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
माँ मुझे समझाती है
इन मुश्किल भरी राह पर चलना सिखाती है
माँ ही तो मुझे लोरी गाकर सुनाती थी
तब जाकर मुझे रात को चैन की नींद आती थी
माँ ने ही मुझे चलना सिखाया
लगने ठोकर मुझे संभलना सिखाया
माँ अगर तुम न होती तो...
माँ ने ही मुझे बोलना सिखाया
दुनिया से प्यार की बात करना सिखाया
माँ ने ही मुझे हँसना सिखाया
किसी बात पर डांट कर समझदार बनाया
माँ ने ही मुझे प्यार का नाम दिया
फिर उसी नाम से दुनिया ने मुझे बुलाया
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
दोस्तों यदि आप गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड के झगड़े से परेशान है
और आपका दिल सही फैसला लेने में कमजोर होता है
तो एक बात हमेशा याद रखिये
दुनिया का कोई भी प्यार माँ के प्यार से 9 नौ महीने कम होता है
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
इतिहास आपके कार्यों का केवल परिणाम देखता है
इसीलिए आपका वर्तमान परिणामों से भर डालो
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
अब भी दिला रहा हूँ यकीन खुद को, खुद की मौत पर.
वो नहीं आएगा अब , ऊँचें महलों से उतर कर।
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
दोस्तों यदि आप गर्ल फ्रेंड या बॉय फ्रेंड के झगड़े से परेशान है
और आपका दिल सही फैसला लेने में कमजोर होता है
तो एक बात हमेशा याद रखिये
दुनिया का कोई भी प्यार माँ के प्यार से 9 नौ महीने कम होता है
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
इतिहास आपके कार्यों का केवल परिणाम देखता है
इसीलिए आपका वर्तमान परिणामों से भर डालो
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
अब भी दिला रहा हूँ यकीन खुद को, खुद की मौत पर.
वो नहीं आएगा अब , ऊँचें महलों से उतर कर।
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
इश्क करिये जनाब, पर जरा संभल कर करिये,
दिल में अटका तो फिर न निकल पायेगा।
दिल में अटका तो फिर न निकल पायेगा।
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
बहुत खूब दिखा था तेरी आँखों में प्यार ,
पर अब अपनी समझ पर शर्मिंदा हूँ।
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
पर अब अपनी समझ पर शर्मिंदा हूँ।
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
चुपके से आकर इस दिल में उतर जाते हो
सांसों में मेरी खुशबु बन के बिखर जाते हो
कुछ यूँ चला है तेरे ‘इश्क’ का जादू
सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो
"चंचल मन से "
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
सांसों में मेरी खुशबु बन के बिखर जाते हो
कुछ यूँ चला है तेरे ‘इश्क’ का जादू
सोते-जागते तुम ही तुम नज़र आते हो
"चंचल मन से "
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
Who is the writer of कल हल्की-हल्की बारिश थी poeam ?
Susheel Tiwari के द्वारा यह कविता लिखी है, सुशील नरसिंहपुर जिले की गाडरवारा तहसील के रहने वाले है।
कल हल्की-हल्की बारिश थी,
कल सर्द हवा का रक्स भी था,
कल फूल भी निखरे-निखरे थे,
कल उन पर आप का अक्स भी था,
कल बादल काले गेहरे थे,
कल चांद पर लाखों पेहरे थे ,
कुछ टुकडे आप कि यादों के बडी देर से दिल में ठहरे थे,
कल यादें उल्झी-उल्झी थी और कल तक ये न सुल्झी थी,
कल याद बहुत तुम आये थे कल याद बहुत तुम आये थे.
("SUSHEEL TIWARI")
ये शायरी kal halki-halki barish thi - ("SUSHEEL TIWARI") द्वारा लिखी गई है ,यदि आप इसे share करते है और by ("SUSHEEL TIWARI") भी show करते है ,तो मुझे ज्यादा ख़ुशी होगी thanks
---
"न मैं कहीं जाता हूँ न मैं कहीं आता हूँ मैं तो वो रास्ता हूँ,
जिस पर से सारी कहानियाँ गुजर जाती हैं."
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
जिस पर से सारी कहानियाँ गुजर जाती हैं."
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
मेरी नजर पीने की,
और शेरनी की नजर खाने की,
दिल ने देखा बेइंतहा,
और हम शिकार हो गये
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
और शेरनी की नजर खाने की,
दिल ने देखा बेइंतहा,
और हम शिकार हो गये
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
जिसमे केवल प्रेम होता और प्रेम की प्यास होती है,
वही इतनी गेहराई तक खोजबीन करता है.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
वही इतनी गेहराई तक खोजबीन करता है.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
हर वक्त आंखो मे ये कैसी धुंध छाई है.
दूर कहीं धुंध मे दिखती कोई परछाई है.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
दूर कहीं धुंध मे दिखती कोई परछाई है.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
बडी दूर आ गया हूँ बहुत दूर आ गया हूँ मैं,
न मैं समझ सका न समझा सका तुमको ,
बस यही अफ़सोस लिये फिर रहा हूँ मैं,
नही अब लौटने का पता और इरादा,
अब शायद तुमको समझ आ गया हूँ मैं.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
न मैं समझ सका न समझा सका तुमको ,
बस यही अफ़सोस लिये फिर रहा हूँ मैं,
नही अब लौटने का पता और इरादा,
अब शायद तुमको समझ आ गया हूँ मैं.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
अब भी चेहरे पर क्युं मुस्कुराहट आ जाती है,
न जाने क्युं ये सोचकर.
सोचता नही हूँ याद क्युं आ जाती है,
न जाने क्युं ये सोचकर.
प्यार नही बन्दगी है खुदा की,
जीने का यही सबब सिखा जाती है,
न जाने क्युं ये सोचकर.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
न जाने क्युं ये सोचकर.
सोचता नही हूँ याद क्युं आ जाती है,
न जाने क्युं ये सोचकर.
प्यार नही बन्दगी है खुदा की,
जीने का यही सबब सिखा जाती है,
न जाने क्युं ये सोचकर.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
कश्ती डूबती-हिलती पहुँच जाती है किनारे पर,
मुसाफिर बीच समन्दर में अक्सर डूब जाते है,
कहाँ कहा मैने कि ये हाल मेरा है,
मैं खुद डुबाकर कश्ती को,किनारे तैर आया हूँ.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
मुसाफिर बीच समन्दर में अक्सर डूब जाते है,
कहाँ कहा मैने कि ये हाल मेरा है,
मैं खुद डुबाकर कश्ती को,किनारे तैर आया हूँ.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
तलब ऐसी ज़िंदगी मे कि तलब ज़िंदगी बन गई,
छुटी न हम से तलब ऐसी, तलब हमें छोड़ गई.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
छुटी न हम से तलब ऐसी, तलब हमें छोड़ गई.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
उन्होनें सताया हम गरीब को 50 और 100 सौ मे,
उन्हे भी ग़म मिला 1000 और 500 सौ मे.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
उन्होनें सताया हम गरीब को 50 और 100 सौ मे,
उन्हे भी ग़म मिला 1000 और 500 सौ मे.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
सोच कर यूँ हमें अब न आप परेशां होईये ,
कर के दूर हमें न अफ़सोस कीजिये,
दफना दी हमने भी अपनी आरजुओं की उडान,
बैठ कर कभी इस कब्र पर बस दुआ दीजिये.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
कर के दूर हमें न अफ़सोस कीजिये,
दफना दी हमने भी अपनी आरजुओं की उडान,
बैठ कर कभी इस कब्र पर बस दुआ दीजिये.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
तू अब मिले या न मिले ये वक्त युँ ही चलता रहेगा,
तेरी यादों का एक सिलसिला चल पडा है,
नहीं टूटती ये डोर जो तुझ से है बंध गई,
अकेला हूँ पर मुस्कुरता हूँ तन्हाइओं में,
और भी होगी जलन तुझे मुझसे ये जानकर,
उस कड़वे वक्त से ज्यादा और भी खुशी है तेरी यादों में.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
तेरी यादों का एक सिलसिला चल पडा है,
नहीं टूटती ये डोर जो तुझ से है बंध गई,
अकेला हूँ पर मुस्कुरता हूँ तन्हाइओं में,
और भी होगी जलन तुझे मुझसे ये जानकर,
उस कड़वे वक्त से ज्यादा और भी खुशी है तेरी यादों में.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
तुझे प्यार करना और बचपन की चोट को सेहलाना,
और भी दर्द देता है, तुझसे वफ़ा करते जाना,
तेरा बिछड़ के जाना और बेवफा हो जाना,
तुम साँसों की जरूरत और मेरा एक पेड़ लगाना.
अच्छा है अब तेरा बिछड़ते जाना
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
और भी दर्द देता है, तुझसे वफ़ा करते जाना,
तेरा बिछड़ के जाना और बेवफा हो जाना,
तुम साँसों की जरूरत और मेरा एक पेड़ लगाना.
अच्छा है अब तेरा बिछड़ते जाना
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
परेशान है रातें मेरी,जागती है रात-रात भर,
होगी तुम भी परेशान , ये बात जानकर,
सोचा आज रात , रात को सुलाने के बारे में,
पर रात न सोई , और मैं जागा रात भर.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
होगी तुम भी परेशान , ये बात जानकर,
सोचा आज रात , रात को सुलाने के बारे में,
पर रात न सोई , और मैं जागा रात भर.
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
उम्मीद है कि थकती नही दोस्तों
पर वक्त थक जाता है धीरे-धीरे
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
पर वक्त थक जाता है धीरे-धीरे
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
कुछ अजीब सा है मौसम इस गुजरते वक्त में.
कब दिन-रात होते है कुछ पता नहीं ,
पहले तेरी खमोशियाँ अब मेरी भी कुछ कम नहीं,
बड़ा दिलकश है नजारा ,इन दूरियों का
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
कब दिन-रात होते है कुछ पता नहीं ,
पहले तेरी खमोशियाँ अब मेरी भी कुछ कम नहीं,
बड़ा दिलकश है नजारा ,इन दूरियों का
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
---
बचपन मे हाथ में पतंग और पतंग में धागे की छोटी डोर,
लेकर इतनी तेज भागते थे कि बस अब पतंग बादलों को छूने ही वाली है,
ये जुनून आज भी जरुरी है दोस्तों
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'
लेकर इतनी तेज भागते थे कि बस अब पतंग बादलों को छूने ही वाली है,
ये जुनून आज भी जरुरी है दोस्तों
Write By - सुशील तिवारी 'चंचल मन से'