LAB SHAYARI IN HINDI | LAB SHAYARI IN ENGLISH | ONTH SHAYARI IN ENGLISH AND HINDI | morepankh.com

Friends aap ko to pata hi hoga ki pyar ki koi language nahi hoti hai ,aise hi pyar main lab,honth ke upar bahut shayari bani hui hai aur aisi hi bahut saari shayari hum aapke liye lekar aaye hai jinme aapko lab shabd milenge,lab shayari in hindi,lab shayari in english,lab quotes,lab sms,lab msg,onth shayari

                                                                           





वो साथ थे तो एक लफ़्ज़ ना निकला लबों से,
दूर क्या हुए कलम ने क़हर मचा दिया


---


दूर बैठ कर भी मुझको वो सताने लगती है,
जब वो दाँतों के बीच अपने होठ दबाने लगती है.


---


इस दिल के खराबे से गुज़र किस का हुआ है
आँखें भी वही होंट भी वही लहजा भी वही है


---


तेरे लबों की कशिश कुछ यूँ छाई है दिल पे हमारे,
कि अब बिन छुए ना चैन आयें लबों को तुम्हारे.


---


खाली कुओं से आस ना पानी की रख नईम
दिल हि में कुछ नहीं है तो क्या लब पे आएगा


---


इश्क़ से उसको जो छू लो तो महक जाती है,
बाहों में अपनी जो लू तो बहक जाती है,
वो उसका जिस्म है जैसे कि आग का दरिया
अपने होठों से जो चूमूं तो दहक जाती है.


---


लब पे आहें भी नहीं आँख में आँसू भी नहीं
दिल ने हर राज़ मोहब्बत का छुपा रक्खा है


---


वो लबों को चूम ले तो मैं इश्क का जबाब हूँ,
वरना इक मुरझाया हुआ गुलाब हूँ.

---


मुझ को दिया है गरचे,लब-ए-यार ने जवाब
आँखें ये कह रही हैं,दोबारा सवाल कर


---


फीकी चाय का हम कुछ यूँ लुत्फ़ उठाते है,
उसके लबों को छूकर हम मिठास को बढ़ाते है.


---


वो लब कि जैसे साग़रे-सहबा दिखाई दे
जुंबिश जो हो तो जाम छलकता दिखाई दे ~कृष्ण बिहारी नूर


---


उसे पसंद थी आँखे मेरी मुझको उसके लब,
फिर भी झगड़ा करते रहते, मिलते थे हम जब.


---


कई ख्वाब मुस्कुराये सरे-शाम बेखुदी में
मेरे लब पे आ गया था तेरा नाम बेखुदी में


---


लब उनके हमारे लबों से कुछ यूँ टकरायें,
कल तलक गमगीन रहने वाले हम आज
खिलखिलाये और खुल कर शरमायें.


---


बाक़ी है लहू दिल में तो हर अश्क से पैदा
रंग-ए-लब-ओ-रुख़सार-ए-सनम करते रहेंगे~फैज़


---


गुलाब भी बेरंग हो गया शर्मा कर,
देखी जो रंगत लब-ए-दिलदार की


---


ताआज़्ज़ुब है तेरा चेहरा है के मैख़ाना
नज़र..लब..रुख़सार..पेशानी में जाम रक्खे हैं


---


लबों के जाम में मिठास तो होती है,
कभी लेकर देखों कुछ बात तो होती है


---


भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागार से
हम ख़ामोश क्या रहेंगे ज़माने के डर से हम #साहिर


---


हद से ज्यादा तेरे करीब आने को जी चाहता है,
तेरे होठो को होठो से छूने को दिल चाहता है.


---


तुम्हारा नाम किसी अजनबी के लब पर था
ज़रा सी बात थी दिल को मगर लगी है बहुत


---


न आए लब पे तो काग़ज़ पे लिख दिया जाए
किसी ख़याल को मायूस क्यों किया जाए

---


खुदा करे की मुहब्बत में वो मुकाम आये,
किसी का नाम लूँ, लब पे तुम्हारा नाम आये


---


तुम पास हो तो जिन्दगी में क्या गम है,
ऐ हुश्न की परी तेरे होंठो में नशा क्या कम है


---


कल रात ज़िन्दगी से मुलाक़ात हो गई,
लब थर-थरा रहे थे मगर बात हो गई!

---


लाल सुर्ख होठ और उन पर ये कातिल मुस्कान,
तू ही बता ये दिल मरता न तो क्या करता


---


न आए लब पे तो काग़ज़ पे लिख दिया जाए
किसी ख़याल को मायूस क्यों किया जाए

---


अपने होठों से तेरा होठ गीला कर दूँ,
तू इजाजत दे तो इसे और रसीला कर दूँ.


---


खिले तो अबके भी गुलशन में फूल हैं
लेकिन न मेरे ज़ख़्म की सूरत न तेरे लब की तरह


---


मैंने कहा तीखी मिर्ची हो तुम,
वो होठों चूम कर बोली और अब?


---


हरियाली संग पहाड़ नज़र आएंगे सर्द हवाओं से काँपते नज़र आएँगे
कल तक थे जो अनजान मुझसे उनके लब आज मेरे गीत गुनगुनाएंगे


---


कल रात ज़िन्दगी से मुलाक़ात हो गई,
लब थर-थरा रहे थे मगर बात हो गई!


---


मेरे हर लफ़्ज़ में लब भी छुपे हैं
तुम्हें भेजे हैं बोसे चूम लेना


---


होठों को अजीब सुकून आता है,
जब लफ्जों में जिक्र तुम्हारा आता है.


---


हाथ उठाए हैं मगर लब पे दुआ कोई नहीं की
इबादत भी तो वो जिसकी जज़ा कोई नहीं


---


होठो पर होठ रखकर सो गये हैं,
कि गर्मी के मौसम में कहीं प्यास न लग जाएँ.


---


उम्रें गुज़र गई हैं असर की तलाश में
किस ना-मुराद लब की दुआ हो गए हैं हम


---


अच्छा नहीं लगता होठो पर
उंगलियाँ रखकर तुम्हारा चुप कराना,
कुछ इस तरह से हमें चुप करा दो
होठों को होठों से टकराने दो.


---


मैं लब हूँ, मेरी बात तुम हो ,
मैं तब हूँ , जब मेरे साथ तुम हो


---


काली जुल्फ़ें और मुस्कुराते होठो की लाली,
कितने दीवानों को तुम पागल बना डाली.


---


खूबसूरत है वो लब……जिन पर, दूसरों के लिए कोई दुआ आ जाए
खूबसूरत है वो दिल जो किसी के, दुख मे शामिल हो जाए


---


तुम्हारे आँखों के आँसू रूक जाए
इसलिए होठो को चूम लिया,
तुम हर दिन दोने का बहाना मत ढूँढा करो


---


चोट नई है लेकिन ज़ख़्म पुराना है ये चेहरा कितना जाना-पहचाना है
सारी बस्ती चुप की धुंद में डूबी है जिस ने लब खोले हैं वो दीवाना है


---


उसने अपने होठो से मेरे होठो को नहीं,
मेरे दिल को मुकम्मल छुआ है.


---


मत पुछ इन घटाओं का रंग ज़र्द क्यूं है
आह लब पे ’आतिश’ ने धुआं किया होगा


---


उसने अपने होठो से मेरे होठो को नहीं,
मेरे दिल को मुकम्मल छुआ है


---


दिलशाद अगर नहीं तो नाशाद सही, लब पर नग़मा नहीं तो फ़रियाद सही
हमसे दामन छुडा़ के जाने वाले, जा- जा गर तू नहीं तेरी याद सही


---


होठ तो मेरे है, पर मुस्कान तुम्हारी क्यों है,
लफ़्ज मेरे है पर बातें तुम्हारी क्यों है.


---


ये लब चाहे खामोश रहें आँखों से पता चल जाता है
कोई लाख छुपा ले इश्क मगर दुनिया को पता चल जाता है


---


शब्दों को होठो पर रखकर दिल के भेद ना खोलो,
मैं आँखों से सुन सकता हूँ तुम आँखों से बोलो


---


तुम्हारे होंट बहोत खुश्क खुश्क रहते हैं 
इन्हीं लबों पे कभी ताज़ा शेर मिलते थे
यह तुमने होंटो पे अफ़साने रख लिए कबसे



---


ज़ोफ़ का हुक्म ये है कि होंट न हिलने पाएँ,
दिल ये कहता है कि नाले में असर पैदा कर


---


सवाल-ए-वस्ल पर उनको अदू का ख़ौफ़ है इतना,
दबे होंटों से देते हैं जवाब आहिस्ता आहिस्ता


---


होंटों पे कभी उनके मेरा नाम ही आए
आए तो सही बर-सर-ए-इल्ज़ाम ही आए


---


‘आह’ कीजे मगर लतिफ़-तरीन,
लब तक आकर धुआँ ना हो जाए,
दर्द बढ़ कर फुगां ना हो जाए


---


कभी आह लब पे मचल गई कभी अश्क़ आँख से ढल गये
ये तुम्हारे गम के चराग़ हैं कभी बुझ गये कभी जल गये


---


मिल गये थे एक बार उस के जो मेरे लब से लब
उम्र भर होंटो पे अपने हम ज़बान फेरा किए


---


नाजुकी उसके लब की क्या कहिये,
पखुंड़ी इक गुलाब की-सी है


---


क़द ओ गेसू लब-ओ-रुख़्सार के अफ़्साने चले
आज महफ़िल में तिरे नाम पे पैमाने चले -अहमद राही


---


सरगोशियों की रात है रुख़्सार ओ लब की रात
अब हो रही है रात जवाँ देखते चलें


---


दोस्तों उस चश्म-ओ-लब की कुछ कहो जिसके बगैर,
गुलिस्ताँ की बात रंगीन न मैखाने का नाम


---


तश्नगी में लब भिगो लेना भी काफी है ‘फ़राज़’,
जाम में सहबा है या ज़ेहराब मत देखा करो


---


उस तश्ना-लब की नींद न टूटे दुआ करो,
जिस तश्ना-लब को ख़्वाब में दरिया दिखाई दे


---


वो लब कि जैसे साग़र-ए-सहबा दिखाई दे,
जुम्बिश जो हो तो जाम छलकता दिखाई दे


---


तिश्ना-लब आएँगे दरियाओं के ठुकराए हुए,
इसी बाइस तो हम सराबों में जलाते हैं चराग़


---


हमने उसके लब-ओ-रुख़्सार को छूकर देखा,
हौसले आग को गुलज़ार बना देते हैं


---


हर लब पे रक्स करती है सर्द-ओ-समन की बात,
छेड़ी है किसने आज तेरे पैरहन की बात


---


तर्जुमान-ए-राज़ हूँ, यह भी काम है मेरा
उस लब-ए-ख़मोश ने मुझसे जो कहा, कहूँ


---


दिल-ए-गुदाज़ ओ लब-ए-ख़ुश्क ओ चश्म-ए-तर के बग़ैर
ये इल्म ओ फ़ज़्ल ये दानिश्वरी नहीं कोई शय


---


मेरी झोली मे कुछ अल्फ़ाज़ दुआ के डालदो
क्या पता तुम्हारे लब हिले और मेरी तक़दीर संवर जाऐ


---


गाल पे गिरती ज़ुल्फ़ें, तिरछी नज़र,
लब पे जाम, हाथों में पैमाना.. हाँ मैंने क़यामत देखी है


---


बीती बातें फिर दोहराने बैठ गए ,
क्यों ख़ुद को ही ज़ख़्म लगाने बैठ गए ;
अभी अभी तो लब पे तबस्सुम बिखरा था ,
अभी अभी फिर अश्क बहाने बैठ गए ?


---


ख़ामोशी भी तो सुनाती है फ़साने अक्सर
किस तमाशे में हूँ ये बंदिश-ए-लब से पूछो


---


आँख से छलका वो आँसू गाल पर ढलका वो आँसू
लब तक जातेजाते ख़ामोश सा हो गया लब भी ख़ामोश हो गये
एक उदासी छा गई लंबी ख़ामोशी छा गई


---


“मेरा अपना तजुर्बा है तुम्‍हें बतला रहा हूं मैं
कोई लब छू गया था तब कि अबतक गा रहा हूं मैं


---

Previous Post Next Post