Friends love ki duniya main jitna ZULF ke upar likha gaya hai shayad utna kisi bhi cheej par nahi likha gaya ,bahut si zulfon ke upar shayari ka collection yaha aaj aapke liye ,padhiye maje lijiye aur doosro ko bhi bhejiye.......
बिजलियों ने सीख ली उनके तबस्सुम की अदा
रंग ज़ुल्फ़ों का चुरा लाई घटा बरसात की
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मेरे होठ जब तेरे होठों के पास आते है
कमबख्त ये जुल्फ़ दीवार बन जाते हैं
कर के बेचैन मुझे उसका भी बुरा हाल हुआ
उसकी ज़ुल्फें भी ना सुलझी मेरी उलझन की तरह
और ये बिखरी मुस्कान
एक अदा से संभलूँ
एक अदा से संभलूँ
तो दूसरी होश उड़ा देती है"
तेरी जुल्फों की ज़ंजीर मिल जाती तो अच्छा था
तेरे लबों की वो लकीर मिल जाती तो अच्छा था
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zulfein shayari
बरसात भी नहीं और बादल गरज रहे हैं,
सुलझी हुई हैं ज़ुल्फें और हम उलझ रहे हैं,
मदमस्त एक भँवरा क्या चाहता है कली से,
ये तुम भी समझ रहे हो हम भी समझ रहे हैं
सुलझी हुई हैं ज़ुल्फें और हम उलझ रहे हैं,
मदमस्त एक भँवरा क्या चाहता है कली से,
ये तुम भी समझ रहे हो हम भी समझ रहे हैं
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तेरे लबों की वो लकीर मिल जाती तो अच्छा था
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आवारा सी ज़ुल्फ तुम्हारी गालों को जब सहलाती है,
हसीन बेशक उस वक़्त लगती हो,
पर मुझे तेरी जुल्फे जलाती है
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zulfein quotes
हसीन बेशक उस वक़्त लगती हो,
पर मुझे तेरी जुल्फे जलाती है
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zulfein quotes
sare-mehfil zulfein bikhar gayi aariz par
zara socho kon ab hosh mein hoga
zara socho kon ab hosh mein hoga
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"हमने जो की थी मोहब्बत आज भी है, तेरी जुल्फों के साए की चाहत आज भी है,
रात कटती है आज भी खयालों में तेरे, दीवानों सी हालत मेरी आज भी है"
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zulfein status
रात कटती है आज भी खयालों में तेरे, दीवानों सी हालत मेरी आज भी है"
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zulfein status
किसने भीगी हुयी जुल्फों से ये झटका पानी
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी
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अब कौन घटााओं को, घुमड़ने से रोक पायेगा, ज़ुल्फ़ जो खुल गयी तेरी, लगता है सावन आयेगा.
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roshan chehra bheegi zulfein, du kis ko kis par tarjeeh
ek qaseeda dhoop ka likhu, ek ghazal barsaat ke naam
ek qaseeda dhoop ka likhu, ek ghazal barsaat ke naam
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"जुरअत तो देखिएगा नसीम-ए-बहार की
ये भी बलाएँ लेने लगी ज़ुल्फ़-ए-यार की"
ये भी बलाएँ लेने लगी ज़ुल्फ़-ए-यार की"
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रंग ज़ुल्फ़ों का चुरा लाई घटा बरसात की
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अपनी ज़ुल्फें मेरे शानों पे बिखर जाने दो
आज रोको ना मुझे हद से गुज़र जाने दो
आज रोको ना मुझे हद से गुज़र जाने दो
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कमबख्त ये जुल्फ़ दीवार बन जाते हैं
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उम्र भर जुल्फ-ए-मसाऐल यूँ ही सुलझाते रहे
दुसरों के वास्ते हम खुद को उलझाते रहे
दुसरों के वास्ते हम खुद को उलझाते रहे
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kar ke bechain mujhe uska bhi bura haal hua
uski zulfein bhi na suljhi meri uljhan ki tarhan
uski zulfein bhi na suljhi meri uljhan ki tarhan
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julfein shayari
पहले क्या मुश्किलें कम थीएक तेरी उलझी ज़ुल्फ़ों ने ज़िन्दगी और उलझा दी
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zulfe shayari in hindi
ये किसका ढल गया है आँचल, तारों की निगाह झुक गयी है,
ये किसकी मचल गयी हैं जुल्फें, जाती हुई रात रुक गयी है.
zulfe shayari in hindi
ये किसका ढल गया है आँचल, तारों की निगाह झुक गयी है,
ये किसकी मचल गयी हैं जुल्फें, जाती हुई रात रुक गयी है.
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यार जब तुम्हारी ये मासूम ज़ुल्फें तुम्हें सताती हैं
तब मेरी उँगलियाँ मचलती हैं ख्याल-ए-खताओं से
तब मेरी उँगलियाँ मचलती हैं ख्याल-ए-खताओं से
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zulf tareef shayari
zulf tareef shayari
दिसम्बर से भी ठण्डा है तेरी ज़ुल्फ़ का साया,
जी चाहता है की जून तेरे पास आकर गुजारूं .
जी चाहता है की जून तेरे पास आकर गुजारूं .
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चेहरे पे नूर है और माथे पे घनेरी ज़ुल्फें
रात में दिन का निकलना देख आया हूँ
रात में दिन का निकलना देख आया हूँ
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माथे को चूम लूँ मैं और उनकी जुल्फ़े बिखर जाये,
इन लम्हों के इंतजार में कहीं जिंदगी न गुज़र जाये.
इन लम्हों के इंतजार में कहीं जिंदगी न गुज़र जाये.
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ज़ुल्फें हटाते ही उनके रुख से
चाँद हंसता है रात ढलती है
चाँद हंसता है रात ढलती है
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हम कहाँ से अपने दिल को समझाये
आप ने यूँ जुल्फ जो बिखेरी है
आप ने यूँ जुल्फ जो बिखेरी है
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sawaare ja rahe hain hum, to uljhi jaati hain zulfein
tu apne jimme lo, ab ye bakheda hu nahin lenge
tu apne jimme lo, ab ye bakheda hu nahin lenge
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जुल्फें चाहे कितनी हंसीं क्यूँ न हो
दुपट्टा शख़्सियत को चार चाँद लगा देता है.
दुपट्टा शख़्सियत को चार चाँद लगा देता है.
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unke haathon mein mehandi lagane ka ye faayda hua humein
ki raat bhar chahre se unke, zulfein hatate rahe hum
ki raat bhar chahre se unke, zulfein hatate rahe hum
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जुल्फ देखी है या नजरों ने घटा देखी है,
लुट गया जिसने भी तेरी ये अदा देखी है
लुट गया जिसने भी तेरी ये अदा देखी है
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घटाओं से निकलता आसमाँ सच बात है या फ़िर
खुली ज़ुल्फें हैं, लहराया दुपट्टा आसमानी है
खुली ज़ुल्फें हैं, लहराया दुपट्टा आसमानी है
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पहले जुल्फ, फिर होठ , फिर दिल पे हावी तेरे नैन हो गये
तुने तीन दफा बदली डीपी, हम तीन दफा तेरे फैन हो गये
तुने तीन दफा बदली डीपी, हम तीन दफा तेरे फैन हो गये
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zulfein bikhra ke jis din, wo sare-bazaar chali
gul macha – shor utha, maar chali maar chali
gul macha – shor utha, maar chali maar chali
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छाँव पाता है मुसाफिर तो ठहर जाता है,
ज़ुल्फ़ को ऐसे न बिखरा,हमे नींद आती है
ज़ुल्फ़ को ऐसे न बिखरा,हमे नींद आती है
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चेहरे पे गिरी ज़ुल्फें, कह दो तो हटा दूँ मैं
ग़ुस्ताख़ी माफ
इक फूल तेरे बालों में कह दो तो लगा दूँ मैं
ग़ुस्ताख़ी माफ
ग़ुस्ताख़ी माफ
इक फूल तेरे बालों में कह दो तो लगा दूँ मैं
ग़ुस्ताख़ी माफ
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julf shayari on hair
ज़ुल्फ़ घटा बन कर रह जाए आँख कँवल हो जाए शायद
उन को पल भर सोचे और ग़ज़ल हो जाए
उन को पल भर सोचे और ग़ज़ल हो जाए
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saba aati hai to zulfein sanwaarti hai uski
gulaab se chehre ka muhn dho jaati hai shabnam
gulaab se chehre ka muhn dho jaati hai shabnam
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जुल्फों में तेरी पेंच ओ ख़म जितने….
मेरी मजबूरियाँ मेरे मुश्किलात बस इतने
मेरी मजबूरियाँ मेरे मुश्किलात बस इतने
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हमारे भी संभल जायेंगे हालात
वो पहले अपनी ज़ुल्फें तो संभालें
वो पहले अपनी ज़ुल्फें तो संभालें
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किस ने भीगे हुए बालों से ये झटका पानी
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी
झूम के आई घटा टूट के बरसा पानी
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na jhatko zulf se paani ye moti toot jayenge
tumhara kuchh na bigdega magar dil toot jayenge
tumhara kuchh na bigdega magar dil toot jayenge
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मेरे मर जाने की वो सुन के खबर आई “मोहसिन”
घर से रोते हुए वो बिन ज़ुल्फ़ सँवारे निकले
घर से रोते हुए वो बिन ज़ुल्फ़ सँवारे निकले
जुल्फों पर गजल
पहली मुलाक़ात थी और हम दोनों बेबस
वो ज़ुल्फें सँभालती रही और मै खुद को
वो ज़ुल्फें सँभालती रही और मै खुद को
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ज़ुल्फ़ रातों सी , रंगत है उजालों जैसी,
पर तबियत है वही , भूलने वालों जैसी.
ढूढ़ता फिरता हूँ , लोगों में शबाहत उसकी,
के वो ख्वाबों में भी लगती है , ख्यालों जैसी
पर तबियत है वही , भूलने वालों जैसी.
ढूढ़ता फिरता हूँ , लोगों में शबाहत उसकी,
के वो ख्वाबों में भी लगती है , ख्यालों जैसी
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bikhri bikhri zulfein teri, paseena maathe par hai
sach to ye hai tum gusse mein aur bhi pyare lagte ho
sach to ye hai tum gusse mein aur bhi pyare lagte ho
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ये कह कर सितमगर ने ज़ुल्फ़ों को झटका,
बहुत दिन से दुनिया परेशाँ नहीं है
बहुत दिन से दुनिया परेशाँ नहीं है
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ये उड़ती ज़ुल्फें, ये बिखरी मुस्कान
एक अदा से संभलूँ, तो दूसरी होश उड़ा देती है
एक अदा से संभलूँ, तो दूसरी होश उड़ा देती है
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पूछा जो उनसे चाँद निकलता है किस तरह,
ज़ुल्फ़ों को रूख पे डाल के झटका दिया कि यूँ
ज़ुल्फ़ों को रूख पे डाल के झटका दिया कि यूँ
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thaan liya tha ki ab aur shayari nahin likhenge
par unko zulfein jhatakte dekha aur alfaaz bagawat kar baithe
par unko zulfein jhatakte dekha aur alfaaz bagawat kar baithe
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आँख को जाम लिखो ज़ुल्फ़ को बादल लिखो
जिस से नाराज़ हो उस शख्स की हर बात लिखो
जिस से मिलकर भी न मिलने की कसक बाक़ी है
उसी अनजान इंसान की मुलाक़ात लिखो
आँख को जाम लिखो ज़ुल्फ़ को बादल लिखो
जिस से नाराज़ हो उस शख्स की हर बात लिखो
जिस से मिलकर भी न मिलने की कसक बाक़ी है
उसी अनजान इंसान की मुलाक़ात लिखो
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काजल, आँखें, ज़ुल्फें, झुमके, चेहरा, बिंदिया
हाय, दिल हार गए हम तुझे बे-नकाब देखकर
हाय, दिल हार गए हम तुझे बे-नकाब देखकर
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गुलों की तरह हम ने ज़िंदगी को इस कदर जाना
किसी कि ज़ुल्फ़ में इक रात सोना और बिखर जाना
किसी कि ज़ुल्फ़ में इक रात सोना और बिखर जाना
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badi aarzoo thi mehboob ko be naqaab dekhne ki
dupatta jo sarka to zulfein deewar ban gayi
dupatta jo sarka to zulfein deewar ban gayi
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जो गुजरे इश्क में सावन सुहाने, याद आते हैं
तेरी जुल्फों के मुझको शामियाने याद आते हैं
तेरी जुल्फों के मुझको शामियाने याद आते हैं
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देख लेते जो मिरे दिल की परेशानी को
आप बैठे हुए ज़ुल्फ़ें न सँवारा करते
आप बैठे हुए ज़ुल्फ़ें न सँवारा करते
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इजाजत हो तो मैं तस्दीक कर लूँ तेरी जुल्फों से,
सुना है जिन्दगी इक खूबसूरत जाम है साकी
सुना है जिन्दगी इक खूबसूरत जाम है साकी
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neend us ki hai dimaagh us ka hai raatein us ki hain
teri zulfein jis ke baazu par pareshaan ho gayi
teri zulfein jis ke baazu par pareshaan ho gayi
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मैं घंटों निगाह भर के देखता रहा उन्हें,
वो इत्मिनान से घंटों धूप में जुल्फें सुखाती रहीं
वो इत्मिनान से घंटों धूप में जुल्फें सुखाती रहीं
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हम हुए तुम हुए कि ‘मीर’ हुए
उस की ज़ुल्फ़ों के सब असीर हुए
उस की ज़ुल्फ़ों के सब असीर हुए
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तेरी खुली~खुली सी ज़ुल्फ़ें,
इन्हें लाख तुम संवारो
अगर हम संवारते तो,कुछ और बात होती
इन्हें लाख तुम संवारो
अगर हम संवारते तो,कुछ और बात होती
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zulfein, seena, naaf, kamar,
ek nadi mein, kitne bhanwar
ek nadi mein, kitne bhanwar
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न तो दम लेती है तू और न हवा थमती है,
ज़िन्दगी ज़ुल्फ़ तेरी कोई सँवारे कैसे
ज़िन्दगी ज़ुल्फ़ तेरी कोई सँवारे कैसे
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जुल्फों का सहारा लेकर जो तुम
अपनी मुस्कुराहट छिपा लेती हो,
सच कहना क्या तुम भी मुझसे
मोहब्बत बेपनाह करती हो
अपनी मुस्कुराहट छिपा लेती हो,
सच कहना क्या तुम भी मुझसे
मोहब्बत बेपनाह करती हो
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अच्छी लगती नही चांद पे बदलियां,
अपने चेहरे से जुल्फें हटा लीजिये
अपने चेहरे से जुल्फें हटा लीजिये
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इतनी आजादी अच्छी नहीं लगती,
आपने अपनी जुल्फ़ों को बहुत छूट दे रखी है
आपने अपनी जुल्फ़ों को बहुत छूट दे रखी है
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बिखरी हुई थी जुल्फे वही आँखो में नमी थी,
हम चाहकर भी पूरी ना कर सके,
ऐ-जिंदगी तूझमें ऐसी क्या कमी थी
हम चाहकर भी पूरी ना कर सके,
ऐ-जिंदगी तूझमें ऐसी क्या कमी थी
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ये नादान आशिक क्या जाने मोहब्बत के सलीके,
उनके चेहरे से ज्यादा उनकी भीगी जुल्फ़े पसंद है
उनके चेहरे से ज्यादा उनकी भीगी जुल्फ़े पसंद है
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ये उड़ती ज़ुल्फें, ये बिखरी मुस्कान,
एक अदा से संभलूँ, ,तो दूसरी होश उड़ा देती है
एक अदा से संभलूँ, ,तो दूसरी होश उड़ा देती है
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तुम्हारी ज़ुल्फ़ों के साये में शाम कर लूंगा,
सफर इस उम्र का पल में तमाम कर लूंगा
सफर इस उम्र का पल में तमाम कर लूंगा
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उनके हाथों में मैंहदी लगाने का. ये फायदा हुआ हमें,
कि रात-भर चेहरे से उनके, ज़ुल्फें हटाते रहे हम
कि रात-भर चेहरे से उनके, ज़ुल्फें हटाते रहे हम
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रुख-ए-यार पे यह जुल्फें, यूँ फिसल रही है,
कभी दिन निकल रहा है, कभी रात ढल रही है
कभी दिन निकल रहा है, कभी रात ढल रही है
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तेरी जुल्फें जब बिखर जाती है,
ए हसीना तू और भी हसीन हो जाती है
ए हसीना तू और भी हसीन हो जाती है
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बहुत ही शरारती हैं...ये तेरी आवारा जुल्फें,
हवा का बहाना बनाकर .तेरे गालो को चूम लेती हैं.
बहुत ही शरारती हैं...ये तेरी आवारा जुल्फें,
हवा का बहाना बनाकर .तेरे गालो को चूम लेती हैं.
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माथे को चूम लूँ मैं और, उनकी जुल्फ़े बिखर जाये,
इन लम्हों के इंतजार में, कहीं जिंदगी न गुज़र जाये
इन लम्हों के इंतजार में, कहीं जिंदगी न गुज़र जाये
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बड़ी आरजू थी महबूबा को बेनक़ाब देखने की,
दुपट्टा जो सरका तो ज़ुल्फ़ें दीवार बन गयी
दुपट्टा जो सरका तो ज़ुल्फ़ें दीवार बन गयी
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वों जुल्फें हवाओं संग लहरायी थीं,
हम असर इश्क का समझ बैठे
हम असर इश्क का समझ बैठे
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जुल्फे खोली हैं उन्होंने आज,
और सारा शहर बादलो को दुआ दे रहा हैं
और सारा शहर बादलो को दुआ दे रहा हैं
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किसी ने पूछा कौन याद आता है, अक्सर तन्हाई में,
हमने कहा कुछ पुराने रास्ते, खुलती ज़ुल्फे और बस दो आँखें
हमने कहा कुछ पुराने रास्ते, खुलती ज़ुल्फे और बस दो आँखें
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दिल लेकर क्या करोगी,? बताओ तो सही ?
तुमसे जुल्फे तो अपनी संभाली नही जाती
तुमसे जुल्फे तो अपनी संभाली नही जाती
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पहली मुलाकात थी, और हम दोनों ही बेबस थे...
वो जुल्फें ना संभाल सके, और हम खुद को
वो जुल्फें ना संभाल सके, और हम खुद को
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रेशमी जुल्फें हैं तेरी, मखमली है चेहरा तेरा,
हो जाऊं तुम्हारा या बना लूं तुम्हें अपना
रेशमी जुल्फें हैं तेरी, मखमली है चेहरा तेरा,
हो जाऊं तुम्हारा या बना लूं तुम्हें अपना
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ज़ुल्फ़ ए सरकार से जब चेहरा निकलता होगा,
फिर भला कैसे कोई चाँद को तकता होगा
फिर भला कैसे कोई चाँद को तकता होगा
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लहराती ज़ुल्फें कजरारे नयन और ये रसीले होंठ,
बस कत्ल बाकी है औज़ार तो सब पूरे हैं
बस कत्ल बाकी है औज़ार तो सब पूरे हैं
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तुम्हारी जुल्फ के साये में शाम कर लूँगा
सफ़र इस उम्र का पल में तमाम कर लूँगा
नज़र मिलाई तो पूछूंगा इश्क का अंजाम
नज़र झुकाई तो खाली सलाम कर लूँगा
सफ़र इस उम्र का पल में तमाम कर लूँगा
नज़र मिलाई तो पूछूंगा इश्क का अंजाम
नज़र झुकाई तो खाली सलाम कर लूँगा
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ये उड़ी उड़ी सी रंगत ये लुटी लुटी सी जु़ल्फ़ें,
तेरी हालत बता रही है ज़िंदगी का फ़साना
तेरी हालत बता रही है ज़िंदगी का फ़साना
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सर-ए-आम यूँ ही जुल्फ संवारा न कीजिये
बे-मौत हमको हुस्न से मारा न कीजिये
बे-मौत हमको हुस्न से मारा न कीजिये
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उसकी ज़ुल्फें भी ना सुलझी मेरी उलझन की तरह
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फिर न सिमटेगी मोहब्बत जो बिखर जायेगी
ज़िंदगी ज़ुल्फ़ नहीं जो फिर संवर जायेगी
ज़िंदगी ज़ुल्फ़ नहीं जो फिर संवर जायेगी
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मेरी उंगलियाँ फिर तेरी जुल्फों से गुज़र जायें,
जब तू पलकें झुकाकर फिर मेरी ज़िन्दगी में चली आये
जब तू पलकें झुकाकर फिर मेरी ज़िन्दगी में चली आये
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जब भी मुँह ढँक लेता हूँ तेरी जुल्फों की छाँव में
जाने कितने गीत उतर आते हैं मेरे मन के गाँव में
जाने कितने गीत उतर आते हैं मेरे मन के गाँव में