होलाष्ठक क्या है ?
दोस्तों होलाष्ठक होली से आठ दिन पहले शुरू होते है अर्थात फागुन महीने
के शुक्ल पक्ष की अष्ठमी से लेकर होलिका दहन के दिन तक होलाष्ठक
चलते है। और होलाष्ठक दो डंडे प्रहलाद और होलिका के नाम के लगाए
जाते है। कई घरों में इस दिन से गाय के गोबर से गुलरिया बनाना शुरू कर
देते है जो होलिका दहन तक बनती है।
अब बात आती है कि होलाष्ठक में कोई शुभ कार्य क्यों नहीं करना चाहिए ?
क्यूंकि इन आठ दिनों की अवधि के दौरान ग्रहों का नकारात्मक
प्रभाव सबसे अधिक होता है एक ये भी बात है कि इन आठ दिनों में भक्त
प्रहलाद को बहुत कष्ट दिए गए थे और इसी समय में भगवान् शंकर ने
कामदेव को अपने उससे से भस्म कर दिया था।
होलाष्ठक में कौन से शुभ कार्य नहीं करना चाहिए?
दोस्तों होलाष्ठक में किसी नए घर का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जाता
है,होलाष्ठक में विवाह जैसे शुभ कार्य संपन्न नहीं होते ,होलाष्ठक के समय में
मुंडन और नामकरण जैसे सामाजिक संस्कार भी नहीं किये जा सकते है,नए
वाहनों की खरीदारी भी नहीं की जा सकती होलाष्ठक में ,हवन -यज्ञ जैसे
धार्मिक अनुष्ठान की शुरआत भी नहीं कर सकते है लेकिन पाठ-पूजन जरूर
कर सकते है और अपने ईष्ट की पाठ पूजा होलाष्ठक के दौरान करनी चाहिए
,दोस्तों नए वाहन का क्रय भी नहीं करना चाहिए होलाष्ठक में।
क्या करें होलाष्ठक में ?
होलाष्ठक में पाठ -पूजा करते रहना चाहिए इससे होलाष्ठक के नकारात्मक
असर को कम किया सकता है।
होलिका दहन की पूजा कैसे करें ?
सबसे पहले होलिका दहन वाली जगह को साफ़ किया जाता है ,होलाष्ठक
शुरू होने में जो डंडा होलिका के नाम का लगाया था उसे होलिका दहन
वाली जगह पर जाकर लगा देते है और अच्छी सूखी लकड़ियों से चारों ओर
से ढक देते है इसके बाद चारों ओर से गोबर के सूखे कंडो (उपलों ) से ढक
दिया जाता है होलाष्ठक में जो गुलरिया जाती है उन्हें भी ढक दिया है। दोस्तों
यहाँ यह ध्यान रखना है होलिका में कोई भी ऐसी वास्तु नहीं डालनी जिससे
प्रदूषण हो। किसी पंडित जी को बुलाकर मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजन
करवाए जिसमे भगवान श्री गणेश सर्वप्रथम पूजन किया जाता है फिर
भगवान् विष्णु का मंत्रोच्चार होता है। पंडित जी द्वारा पूजन करवाने के बाद
सभी होलिका की परिक्रमा करते है और घर ,परिवार और एक-दुसरे की
खुशहाली की कामना करते है।
कई घरों में होलिका दहन के दुसरे दिन होलिका की थोड़ी सी अग्नि घर ले
जाकर उस अग्नि को और गोबर के सूखे कंडो में मिलाकर दाल-बाटी
बनाकर खाई जाती है फिर सभी जमकर होली खेलते है।